Chanchal chauhan 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य चांद की चांदनी 15180 0 Hindi :: हिंदी
वो चांद की चांदनी कुछ कह रही थी मुझसे,,कोई खबर नहीं लेता मेरी, मैं आती हूं सबसे मिलने, अंधेरे को छांटकर रोशनी फैलाने, सागर से मिलू तो वो मोती हैं बिखेरे, लहरें भी झिल मिलाये, बहती धारा चमचमाये, कोई रोशनी ऐसी ना देखी, बिन बाती बिन तेल के जल पाये, बिखेरती हैं अपने चारों तरफ चांदनी के उजाले , चंचलता,शीतलता उस में हैं समाये, निशा जब होये आती है जग से मिलने,अपने गुणों से संसार को चमकाने। लेखिका चंचल चौहान
Mera sapna tha apne bicharo ko logo tak phunchana unko jiwn ki sikh ,prerna dena unmai insaniyat jag...