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यादों के जंगल में एक दावानल लगी है-खुद के ही दंगल में

Samar Singh 12 Jul 2023 गीत दुःखद याद उनकी एक आग सी है, पूरे जिस्म को जलाती है हरपल। 5502 0 Hindi :: हिंदी

यादों के जंगल में 
एक दावानल लगी है, । 
खुद के ही दंगल में, 
अमृत भी हलाहल लगी है।। 

कैसा एहसास है, 
सदियों की प्यास है। 
हमें हर घड़ी, 
बस तेरी तलाश है। 
गम के भी मंगल में, 
कफन भी तेरी आँचल लगी है। 
यादों के..................।। 

लमहा- लमहा जीते है, 
जहर हम पीते हैं। 
कैसे हम बताएं, 
हर क्षण मुश्किल से बीते हैं। 
फंसे है हम तो अकेले अमंगल में, 
साँसों की खनक भी तेरी पायल लगी है। 
यादों के.....................।। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G "

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