संदीप कुमार सिंह 06 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4156 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) समानता के नाम पर कुछ लोग धोखा दे रहा है। इसके पीछे सच्चाई का ही गला रेत रहा है। जो दरार थी ये ठग उसको और है बड़ा कर दिया_ भोली भाली जनता को प्यार से अति लूट रहा है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....