Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जितेन्द्र शर्मा, Jitendra Sharm, Prem geet 109895 1 5 Hindi :: हिंदी
मैं प्रेम गीत कैसे गांऊ? जब प्रेम दिवानी बाला को, दैत्य कोई फंसाता है, किसी पिता की श्रद्धा को, टुकडों में बांटा जाता है, तब मैं कैसे मुस्काऊं! मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं! मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं? देवालय के शीर्ष पर, जो ध्वजा बन फहराता है! सर्वोच्च रंग तिरंगे को, बेशर्म बताया जाता है! तब मैं कैसे इतराऊं! मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं! मै प्रेम गीत कैसे गांऊ! मै प्रेम गीत कैसे गाऊं? दान-दहेज की वेदी पर, कोई वधु बलि चढ जाती है! नर पिशाच के हाथों से, कोई कली जब मसली जाती है, तब मै कैसे इठलाऊं! मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं! मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं! मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं?
10 months ago