Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं?

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जितेन्द्र शर्मा, Jitendra Sharm, Prem geet 109895 1 5 Hindi :: हिंदी

मैं प्रेम गीत कैसे गांऊ?
जब प्रेम दिवानी बाला को,
दैत्य कोई फंसाता है,
किसी पिता की श्रद्धा को, 
टुकडों में बांटा जाता है,
तब मैं कैसे मुस्काऊं!
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं?

देवालय के शीर्ष पर,
जो ध्वजा बन फहराता है!
सर्वोच्च रंग तिरंगे को,
बेशर्म बताया जाता है!
तब मैं कैसे इतराऊं!
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं!
मै प्रेम गीत कैसे गांऊ!
मै प्रेम गीत कैसे गाऊं?

दान-दहेज की वेदी पर,
कोई वधु बलि चढ जाती है!
नर पिशाच के हाथों से,
कोई कली जब मसली जाती है,
तब मै कैसे इठलाऊं!
मन चाहे! ज्वाला बन जाऊं!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं!
मैं प्रेम गीत कैसे गाऊं?

Comments & Reviews

Jitendra Sharma
Jitendra Sharma सुन्दर संदेश देती हुई कविता।

10 months ago

LikeReply

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: