मोती लाल साहु 16 May 2023 शायरी समाजिक चार की सूरत प्यारी नहीं इस जग में, ये घोलते ज़हर जीवन में नासूर बन रहते तन में- नाम है इनका काम-क्रोध -मोह और लोभ- तू भला क्यों पालता है इन्हें- निकाल दे तू इस बला को- मिलेगी तुम्हें वह जन्नत ही जन्नत- जिसके लिए तू आया है। 4851 0 Hindi :: हिंदी
चार की सूरत- प्यारी नहीं इस जग में, ये घोलते ज़हर जीवन में नासूर बन रहते इस तन में जीवन भर देते- असहनीय पीड़ा, नाम है इनका- काम-क्रोध-मोह-लोभ ये अपने हैं ना तेरे हैं- यह तो समझ ये पराए हैं तू भला क्यों- पालता है इन्हें, निकाल दे तू इस बला को मिलेगी तुम्हें- वह जन्नत ही जन्नत, जिसके लिए तू आया है!! -मोती