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अतिथि सत्कार का बहुत महत्व

Archana Singh 19 May 2023 कहानियाँ समाजिक 🌼🌼🌼 अतिथि सत्कार 🌼🌼🌼 30667 0 Hindi :: हिंदी

नमस्ते दोस्तों 🙏🙏

दोस्तों ! हमारे देश भारत में अतिथि सत्कार का बहुत महत्व है  । हमारी सभ्यता और संस्कृति ही हमें अतिथियों का सम्मान करना सिखाती है। हम अतिथि को अपना भगवान समझते हैं तभी तो कहते हैं ..." अतिथि देवो भव: " !

 अगर कोई याचक हमारे घर आ जाता है तो हम उसका मान - सम्मान  , इज्जत अपनी परिस्थितियों से ऊपर होकर भी करते हैं और यही हमारी सभ्यता हमें सिखाती भी है ।

 दोस्तों !  ऐसा नहीं है कि हम इंसानों में ही सिर्फ  अतिथियों का सत्कार करने की संस्कार होती है ,,,,,  ये तो भारत जैसे महान देश के कण - कण में है , यहां की हवाओं में , यहां की फिजाओं में  कूट-कूट कर भरी हुई है । 
इसी को सत्यापित करते हुए मैं एक पक्षी की कहानी सुनाती हूं  , जिसने अतिथियों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया  ,,,,, जो हमारे लिए प्रेरणादायक है  ,,,,, जो हमें सिखाती है कि हम इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी अपने देश का मान - सम्मान गौरव रखते हैं  ।
तो आइए एक कहानी सुनाती हूं ......

 संध्या का समय था  ।
 सूर्य अपनी आंखें मुंद चूकी थी और तारे धीरे-धीरे आसमान पर अपने अस्तित्व को बिखेर  रहे थे  ।
तभी तीन राही  एक घने जंगल से गुजर रहे थे ।अंधेरा होने के कारण उन्हें कुछ नजर नहीं आ रहा था  , तो उन्होंने सलाह करके एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का निश्चय किया ।

उसी पेड़ की डाली पर एक चिड़ा , एक चिड़िया और उनके तीन बच्चे रहते थे  । उस चिड़े ने जब पेड़ के नीचे इन तीनों को देखा तो उसने अपनी चिड़िया से कहा  : " देखो !  हमारे यहां ये लोग अतिथि रूप में आए हैं  । जाड़े का मौसम है हम लोगों को इनके लिए कुछ करना चाहिए ।
चिड़िया बोली :" पर  हमारे पास आग तो है नहीं ,,,, तो हम इनकी मदद कैसे करें "....?

 ये सुनकर चिड़ा वहां से उड़ गया  ----- और एक जलती हुई लकड़ी का टुकड़ा अपनी चोंच में दबाकर लाया और उसे अतिथियों के सामने गिरा दिया ।

 उन तीनों ने उसमें लकड़ी लगाकर आग जलाई और ठंडे से उन्हें राहत मिली ।

 परंतु चिड़े को फिर भी संतोष ना हुआ ,,,, उसने चिड़िया से कहा :"  बताओ  ! अब हमें क्या करना चाहिए ,,,,, क्योंकि ये लोग  तो भूखे हैं और  हमारे पास  इन्हें खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है । हम लोग गृहस्थ हैं और हमारा धर्म है कि जो कोई हमारे घर आए , उसे हम भोजन कराएं , जो कुछ मेरी शक्ति में है मुझे अवश्य करना चाहिए ..... अतः मैं उन्हें अपना यह शरीर ही दूंगा  ....! ऐसा कह कर वह आग में कूद पड़ा और भून गया ।

अतिथियों ने उसे आग में गिरता देखा तो उसे बचाने का प्रयत्न किया ,  परंतु वह बच ना सका  ।

उसकी चिड़िया ने भी अपने मन में कहा :"  यह तीन लोग हैं , उनके भोजन के लिए केवल एक ही चिड़िया पर्याप्त  नहीं है " ! 
 ऐसा सोच कर वह भी आग में खुद गई और भून गई ।

 इसके बाद जब उनके तीन छोटे बच्चों ने यह देखा कि अतिथियों के लिए इतना भोजन प्राप्त ना होगा ,,,,, तो अब हमारा भी धर्म है कि हम अपने माता-पिता के कार्य को पूरा करें और यह सोचकर वह भी आग में कूद पड़े ।

 यह सब देखकर पेड़ के नीचे बैठे तीनों अतिथी आश्चर्यचकित हो गए  ,,,,,, 
उन चिड़ियों को वह कैसे खा सकते थे ,
 अतः उस जगह उन्होंने  सुबह होते ही उन चिड़ा , चिड़िया और उनके बच्चों के नाम का एक छोटा सा पौधा लगा दिया  उनकी स्मृति के रूप में । 
अतः  चिड़िया ने अपने धर्म का निर्वाह किया और  अतिथि के लिए खुद का सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।
   मुझे आशा है आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी ।
धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐

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