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धरा वसन्ती हो गई-घर घर में है हर्ष

संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5936 0 Hindi :: हिंदी

कुंडलिया छंद
पूजा मय आँगन लगे,प्राण करे उत्कर्ष।
धरा वसन्ती हो गई,घर घर में है हर्ष।।
घर घर में है हर्ष,कृपा माँ धनदा करिए।
सबको हो उल्लास,ध्यान हम सबका रखिए।।
रुके नहीं अब काम,दिव्य है नहीं न दूजा।
मिले खुशी बेअंत,करूं दिल से मैं पूजा।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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