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प्रभात गीत-रैना बीती भोर हुआ फिर

Rambriksh Bahadurpuri 27 Jan 2024 कविताएँ समाजिक #kavi Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkarnagar poetry #Savera per kavita #pratah song#Mornning song 3956 0 Hindi :: हिंदी

प्रभात गीत 

रैना बीती भोर हुआ फिर 
अलसाये क्यों सोते हो
इतना सुंदर सुबह सवेरा 
सो सो कर क्यों खोते हो। 

जीवन की यह डगर दूर है 
चलना अभी तो बाकी है 
थककर हारे खुद को मारे
बैठ यहां क्यों रोते हो।  

उगता सूरज तुम्हें बताता 
पथ पर चलते रहना है 
देख अंधेरा घोर रैन का
तुम पीछे क्यों होते हो। 

चिड़ियों के कुल कलरव का धुन 
फूल फूलकर बता रहे हैं 
भोर हुआ सूरज उग आया
सोकर दुख क्यों बोते हो। 


           रचनाकार
      रामबृक्ष बहादुरपुरी
  अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

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