संदीप कुमार सिंह 25 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 11196 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" अंतिम दिन वनवास का,निर्णय का पल आज। घमासान यह युद्ध है,किसकी बचती लाज। जीता सत्य असत्य पर,मानवता की जीत_ सबके मुख पर राम है,भारत के सरताज। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....