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ये वक्त की धूमल परछाई

Swami Ganganiya 30 Mar 2023 शायरी प्यार-महोब्बत शायरी 29442 0 Hindi :: हिंदी

ये वक्त की धूमल परछाई
हल्की सी नजर आती है
कभी हाथ मे आती है
कभी छूट जाती है 
मैं छोडना नही चाहता हूं
फिर भी छूट जाती है 
खुश रहती है वो मेरे साथ
फिर भी जाने मुझसे क्यो रूठ जाती है
वो नही है यहां कही 
ना जाने कहा से फिर लौट आती है
**   **   **    **     **     **
Swami Ganganiya
Vill Matanatnagar 
Budhsaini Baghpat 
U.P

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