arti singh 11 Apr 2023 कविताएँ समाजिक सरकारी नौकरी और स्टूडेंट . 8588 0 Hindi :: हिंदी
सरकारी नौकरी के प्रति ,एक स्टूडेन्ट का दर्द... जब से देखा तेरा सपना, हर सपने फीके लगते है´, अब नींद कहाआंखों में, करवट रात भर बदलते हैं, तेरे मिलन की आश मे हम रातभर जगकर पढ़ते हैं जिम्मेदारी का बोझ लिए हम,देश विदेश भटकते है। उम्मीद नहीं छोड़ी थककर, हम गिरते हैं फिर चलते हैं, वो दोस्त यार सब छूट गए, अपने भी हमसे रूठ गए, तुझको पाने की आश में, कई रिश्ते नाते टूट गए,अब धुंधली यादें रही शेष, बाकी सब हुआ बेगाना हैl रहम कर ए नौकरी! क्या उम्र भी छीनकर जाना है?