Bholenath sharma 04 Jan 2024 कविताएँ समाजिक झूठ ये तो आम बात दुनिया में ज्यादा तर लोगों झूठ है कुछ नहीं भी बोलते है परंतु ज्यादा झूठ को ही अपनाते है। लोग 8626 0 Hindi :: हिंदी
मुझसे बच सका न कोई क्या मुझसा नहीं कोई चाहे जो कहते हो खुद को सतनिष्ठ पर बोले है कभी कही पर झूठ बुलताती हूँ मै उनसे क्योकि वे बेचारे है त्याग नहीं पाते मुझको क्योकि वे लाचारे है छोड़ो ईर्ष्या छोड़ो झूठ हो जाओ तुम सत्य निष्ठ इस झूठी दुनिया झूठे लोगो को छोड़ा हो जाओ तुम भी सत्यनिष्ठ