norika bankar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य google 15852 0 Hindi :: हिंदी
तेरी मंजिल तुज़से दुर नही। हे राही चलते- चलते तु क्यू रुक गया मंज़िल तो तेरी यह नही समय को कोसना दुर कर तेरी मंज़िल तुज़से दुर नही। भीड़ भरी रहो में अपने , सटीक रख रास्ते , औरो से नही तु खुद से रख वास्ते , सफलता के में राहो तेरी आँखे ओझल नही , तेरी मंज़िल तुज़से दुर नही। चल माना तेरी राहो में , घोर है अंधेरा , तु अपने प्रकाश से कर अपनी रहो में सवेरा फर्क करना जानले गलत या सही , तेरी मंज़िल तुज़से दुर नही। हर राहगीर का होता है एक मुकाम , औरो के लिए नही तु खुद के लिए कर काम , विचारो के रास्तो से लिखती नोरिका कविता सही , तेरी मंज़िल तुज़से दुर नही। -नोरिका बनकर