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ये करीबियां -यह ज़िंदगी अब अब अपनों से भी अपना लगने लगी है

मोती लाल साहु 27 Oct 2023 शायरी प्यार-महोब्बत बेज़ार ज़िंदगी में आशा 11000 0 Hindi :: हिंदी

"ये करीबियां- 
अब अपनों से भी, 
अपना लगने लगी है"!
 
"ये करीबियां- 
बेज़ार ज़िंदगी, 
में आशा ला रही है"!

"ये खिलने- 
लगी है एक ज़िंदगी,
मुरझाने से बच गई है"!!

"तेरा दिया- 
यह ज़िंदगी अब, 
अपना सा लगने लगी है"!!!!
-मोती

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