मारूफ आलम 30 Mar 2023 शायरी राजनितिक # political shayari# social poetry# najm#नज्म 111264 4 4.5 Hindi :: हिंदी
जालिमों की हिरासत मे जलता हूँ अपने घर,अपनी रियासत मे जलता हूँ तुम मुझे पहचानते हो ऐ दुनियाँ जहाँ वालो मैं फिलीस्तीन हूँ सियासत मे जलता हूँ मैने मूसा से ईसा का जमाना देखा है मैंने कई सल्तनतों का आना जाना देखा है मगर इतिहास गवाह है कभी भी इजराइल नही था मैं मैं आज भी फिलीस्तीन हूँ और कल भी फिलीस्तीन था मैं मेरे भाईयों मे मुझको लेकर इख्तेलाफ बहुत हैं मेरे अपने ही मेरे खिलाफ बहुत हैं अपने बुजुर्गों की विरासत मै जलता हू मै फिलीस्तीन हूँ सियासत मै जलता हूँ हर सदी मे अपने लाखों लोगों को खोता हूँ मैं बारूदों से जख्मी होकर सदी दर सदी रोता हूँ मेरा फैसला ना जाने क्यों नही होता मैं कमजोर हूँ शायद यूँ नही होता दम घुटता है सदियों से हिरासत मे जलता हूँ मैं फिलीस्तीन हूँ सियासत मे जलता हूँ मारुफ आलम
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