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याद है या भूल गए..?

Bhuwan Joshi 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य नये दोर मे, कुछ पुरानी यादें! कहाँ तलाशे अपना बचपन? 8113 0 Hindi :: हिंदी

वो बेमतलब वक्त गुजरना, 
घण्टो पेड़ की हिलती शाखाओं को निहारना! 
मिट्टी के खिलौने बनाना और उसे तेरा तोड़ना, 
फिर कुछ घंटो कठ्ठि लेकर तेरा मुझसे ना बोलना! 
याद है या भूल गए..? 
या तुम भी इस नये दोर मे झूल गए! 

कि वो लुक्का छुप्पी के खेल, वो पकड़म पकड़ाई
की दोड किसी मैराथन से कम नहीं थी! 
किसी रिस्तेदार का घर पर आना और जाते समय
10 रू हाथ में देना सरकार के गौराधन से कम नहीं थी! 
फूफा के घर जाने के लिए भाई से झगड़ना! 
याद है या भूल गए...? 

वो लकड़ियाँ तोड़ने जंगल जाना, 
और वो जंगल में चिल्लाना! 
और उसी शाम पड़ोसी के खेत से ककड़ी चुराना! 
याद है या भूल गए..? 

कि वो रवि अंकल के घर टीवी देखने जाना, 
सिंगनल न आने पर सब का ऐंटीना पर लग जाना! 
फिर घर आके दादी की भूतों की कहानी सुनना, 
और आधी सुनकर ही सो जाना! 
याद है या भूल गए...? 

कि वो स्कूल के दिन जब बस्ते में किताबों
से ज्यादा फल ले जाना! 
और अपने ग्रुप में खाना! 
वो किसी का छोटे से हिस्से के लिए झगड़ जाना! 
याद है या भूल गए..? 
क्या तुम भी इस नये दोर में झूल गए..! 

                                  धन्यवाद 🙏🏻! 

भुवन जोशी! 

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