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चल मुसाफिर

Shailendra Bihari 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Kavita , Chal Mushaphir, Shailendra Bihari , Hindi kavita 73268 1 5 Hindi :: हिंदी

चल मुसाफिर एक राह पे चल
जिंदगी के एक गुमराह पे चल 

हर लोग है बुरे भले 
तुम्हें चलना है अकेले 

जिस राह पे अनेक कांटा है 
उसी राह पे जिंदगी की सांचा है 

मन के परों से ना उर 
चलना है तुम्हें जमी पे बहुत दूर 

अगर तुम में है दम 
तो बढ़ा अपने अगले कदम 

जिंदगी के उस वक्त तक चल
जब तक तेरी सांसों में है हलचल

#कविता 
Shailendra Bihari 

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Shailendra Bihari
Shailendra Bihari Good

1 year ago

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