Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

पहले चेहरे पढ़ने का शौक नहीं था

Samar Singh 01 May 2023 कविताएँ समाजिक आज के दौर में कितने बनावटी चेहरे लिए सब घूम रहे हैं, अंदर से कुछ और बाहर से कुछ दिखते हैं। 5080 0 Hindi :: हिंदी

पहले चेहरे पढ़ने का शौक नहीं था, 
अब देखता हूँ हर इंसान का चेहरा। 
हर इंसान में नहीं होते भगवान, 
कई चेहरों पे होता है शैतान का पहरा।। 

कितने बेगाने होते हैं चेहरे अनजान, 
कह देते है चेहरे हर शख्स की पहचान। 
कुछ मासूम चेहरे फरेबी होते हैं, 
जो दुनियाँ की निगाहों में धूल झोंकते हैं। 
कुछ मगरमच्छी चेहरे होते हैं, 
जो मय्यत में भी हँसकर फूल फेंकते हैं।। 

जो चेहरा हरदम हँसता मिले, 
समझो जख्म मिला है उसे गहरा, 
हर इंसान में नहीं होते भगवान, 
कई चेहरों पे होता है शैतान का पहरा।। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G"

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: