DINESH KUMAR KEER 08 May 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग 16155 0 Hindi :: हिंदी
यारों का याराना... चलो देखते हैं फिर एक समय पुराना, शिक्षालय के चारों यार, यारों का था याराना, हाथ में कपड़े के फटे हुए होते थे थैले, खेल खेलकर कपड़े भी होते थे मेले... आज जब पुराने शिक्षालय के सामने निकला, खड़ा था एक बच्चा दुबला-पतला कमजोर सा, ना हाथ में थैला ना कपड़ों पर मेल था, कंधों पर जगत् का बोझ हाथ में सिर्फ एक कलम था... वह पुरानी साइकिल के पेडा से शिक्षालय आता था, पढ़ाई भले ही ना आती समझ पर मजा बहुत आता था, ना था कल का कोई तनाव अद्य का जीना आता था, कम अंक आने पर भी चांद सा मुख हमेशा मुस्कुराता था... सुना है शिक्षालय में कोई खास बात नहीं, ना कोई यार और अब कोई बकवास नहीं, गुरु बच्चे से - बच्चे गुरु से परेशान हैं, कम अंक देखकर घर वाले भी हैरान हैं... मोबाइल के दौर में चलो कुछ नया अपनाते हैं, इस मोबाइल वाली पीढ़ी को अस्तित्व में जीना सिखाते हैं, कम अंक आने पर भी इन्हें भी साथ हंसाते हैं, चलो इनके बचपन को भी सुखद बनाते हैं...