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रिश्ता-ये कच्चे धागे जैसे होते है

कुमार किशन कीर्ति 30 Jun 2023 कविताएँ समाजिक रिश्ता, कच्चे धागे 9936 0 Hindi :: हिंदी

रिश्तों को संभालना, वरना
ये कच्चे धागे जैसे होते है।
थोड़ी सी अफवाह की बल
क्या पड़ी?
ये टूटकर रह जाते है।
बड़ा मुश्किल है फिर,
टूटे रिश्तों को संभालना।
अक्सर देखा है मैंने जीवन में,
तन्हाई अच्छी होती है झूठे रिश्तों से।
रिश्ते तो बनते है
जीवन में मिठास घोलने के लिए।
कुछ लोग गलत इस्तेमाल
करते है,अपनी फायदों के लिए।
रिश्तों को संभालना, वरना
ये कच्चे धागे जैसे होते है।

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