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स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर

Karan Singh 26 Oct 2023 आलेख देश-प्रेम 👌स्वतंत्रता सेनानी "भगतसिंह"👌 #प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#/भगतसिंह/चन्द्रशेखर आज़ाद/भक्त/भक्ति की शक्ति/दीपावली/महाभारत/बाल साहित्यिक कृतिया/सपनों का सौदागर करण सिंह/ 3306 0 Hindi :: हिंदी

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👌स्वतंत्रता सेनानी "भगतसिंह"👌
#प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#
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👌भगत सिंह कहते थे, "बहरे कानों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए अक्सर धमाकों की ज़रूरत पड़ती है।"💐💐💐👌

लेकिन उनको कहाँ पता था कि लोगों की स्मृति इतनी कमज़ोर है कि उनके जाने के बाद वे सिर्फ़ उनका 'धमाका' ही याद रखेंगे। और उनको भूल जाएँगे, उनके संघर्ष को भूल जाएँगे।

आज 28 सितंबर को भगत सिंह का जन्मदिन है। इस दिन सुबह से ही भगत सिंह के नाम और फोटो के साथ कई संदेश फॉरवर्ड किए जाएँगे। माहौल गरम होगा, लोग सलाम ठोकेंगे, और अगले दिन सब कुछ भूल जाएँगे।

लेकिन हम चाहते हैं कि इस बार 28 सितंबर बीतने के बाद भी, भगत सिंह के संघर्ष का एक अंश आपके भीतर ही रह जाए। भगत सिंह पर आधारित कहानियाँ तो हम बचपन से ही देखते आए हैं। आज हम भगत सिंह के जीवन से कुछ तथ्य आपके लिए लाए हैं।

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👌स्वतंत्रता सेनानी "भगतसिंह"👌
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इन सारी घटनाओं के साथ, उस वक्त पर उनकी उम्र पर भी ध्यान दें। और विचार करें कि उस उम्र में आपका जीवन कैसा था।

जन्म: 28 सितंबर 1907, लायलपुर (पंजाब) में जन्म हुआ।

➖ 10 की उम्र में कक्षा 9 तक पढ़ाई पूरी की।

➖ 12 की उम्र में जलियाँवाला बाग हादसा देखा। वहाँ की खूनभरी मिट्टी बोतल में बंद कर घर लेकर आए।

➖ 14 की उम्र में नेशनल कॉलेज, लाहौर गए। पहली बार किसी छात्र को 10वीं किए बिना, प्रतिभा के दम पर कॉलेज में एडमिशन मिला।

➖ 16 की उम्र में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। HRA (बाद में HSRA बना) जॉइन किया।

➖ 16 की उम्र में शादी के लिए दबाव के चलते घर से भागकर कानपुर चले गए।

➖ 16 की उम्र में 'प्रताप' नाम की पत्रिका में लेखन का काम मिला। साथ ही अलीगढ़ के एक स्कूल में हेडमास्टर की नौकरी मिली।

➖ 19 की उम्र में गरिबाल्डी व मज़ीनी की संस्था 'Young Italy' से प्रेरित होकर 'नौजवान भारत सभा' नाम की संस्था शुरू की।

➖ 20 की उम्र में पहली बार जेल गए। 5 हफ़्तों के लिए पुलिस हिरासत में रहे। 60 हज़ार रुपए देकर ज़मानत मिली। शहर से बाहर जाने पर पाबंदी लगी तो कीर्ति, अकाली, महारथी, प्रभा व चाँद जैसी पत्रिकाओं के लिए क्रांतिकारी लेख लिखे।

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👌स्वतंत्रता सेनानी "भगतसिंह"👌
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➖ 21 की उम्र में लाला लाजपत राय जी की हत्या का बदला लिया। लाहौर से वेश बदलकर निकल गए।

➖ 21 की उम्र में 'सेंट्रल असेम्ब्ली' (आज का संसद भवन) में बम व अपने मिशन से जुड़े पैम्फलेट फेंके।

➖ 22 की उम्र में राजनीतिक कैदियों के हितों के लिए 112 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे। साथ में, अपना केस भी लड़ा। केस के दौरान अलग-अलग मौक़ों पर आवाज़ ना सुने जाने पर दो बार फिर भूख हड़ताल पर बैठे।

➖ 23 की उम्र में 23 मार्च 1931 को फाँसी पर चढ़ गए। पार्थिव शरीर के टुकड़े कर, बोरे में भरा और गाँव के बाहर पुलिस कर्मियों द्वारा जला दिया गया।

विलक्षण प्रतिभा के धनी थे: 5 भाषाएँ जानते थे, कॉलेज के दिनों से ही अभिनय में रुचि रखते थे, उनके द्वारा लिखे गए 100+ लेख पत्रिकाओं व अख़बारों में प्रकाशित हुए, मृत्युदण्ड मिलने पर बिना कोई अपील दायर किए फाँसी पर चढ़ गए।

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कुछ ऐसे थे हमारे भगत सिंह। लेकिन आज हम उन्हें कैसे याद करते हैं?

आज हम उनके जीवन के किन पहलुओं का उत्सव मनाते हैं?

आज भी उनके नाम लेने भर से हमारी धड़कने तेज़ हो जाती हैं। पर हमारे भीतर भगत सिंह जैसी सत्यनिष्ठा और निडरता जगाने वाले कितने तत्त्व हैं हमारे जीवन में?
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भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 (अश्विन कृष्णपक्ष सप्तमी) को प्रचलित है परन्तु तत्कालीन अनेक साक्ष्यों के अनुसार उनका जन्म 27 सितंबर 1907 ई० को एक सिख परिवार में हुआ था।[a] उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक किसान[9] परिवार से थे। अमृतसर में १३ अप्रैल १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।

वर्ष 1922 में चौरी-चौरा हत्‍याकांड के बाद गाँधी जी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। उसके बाद उनका अहिंसा से विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र रास्ता है। उसके बाद वह चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्‍व में गठित हुई गदर दल के हिस्‍सा बन गए। काकोरी काण्ड में राम प्रसाद 'बिस्मिल' सहित ०४ क्रान्तिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था।

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भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर १७ दिसम्बर १९२८ को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज़ अधिकारी जे० पी० सांडर्स को मारा था। इस कार्रवाई में क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद ने उनकी पूरी सहायता की थी। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेण्ट्रल एसेम्बली के सभागार संसद भवन में ८ अप्रैल १९२९ को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी।


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