Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम 7846 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( कश्मीरी फाइल्स ) जर्रा - जर्रा जर्जर हुआ ! जर्रा - जर्रा छलनी !! जर्रा - जर्रा सुलग रहा ! जर्रा - जर्रा ज़ख़्मी !! शाख़ - शाख़ से पात झरे ! सूख गई हर शाख़ !! पतझर की बात अलग है ! दिन में ढल गई रात !! चीखें घर में घुटकर मरी ! मौन हुई फ़रियाद !! इस केसर की क्यारी में ! किसने लगा दी आग !! जर्रा - जर्रा जर्जर हुआ ! जर्रा - जर्रा छलनी !! जर्रा - जर्रा सुलग रहा ! जर्रा - जर्रा ज़ख़्मी !! मज़हबी चक्रव्यूह का ताना - बाना ! जन्नत को जहन्नुम बना डाला !! पंडितों के घर लग गया ताला ! घर से भी बेघर कर डाला !! मुँह का छीना उनके निवाला ! मातृभूमि से उन्हें निकाला !! दम तोड़कर रह गई ! हर उठी आवाज़ !! गैरों से हम जीत गए ! अपनों ने दे दी मात !! जाल बिछाए बैठे ! देखो यह सैयाद !! इस केसर की क्यारी में ! किसने लगा दी आग !! जर्रा - जर्रा जर्जर हुआ ! जर्रा - जर्रा छलनी !! जर्रा - जर्रा सुलग रहा ! जर्रा - जर्रा ज़ख़्मी !! सच दिखाने का किसी ने ! जब किया साहस !! क्यों कश्मीरी फाइल्स पर ! उठने लगी आवाज़ !! ज़ख़्म न दिए उनके दिखाई ! कितनी ही सरकारें आई !! लहू जो सड़कों पर बह रहा ! होगा कब हिसाब !! धारा 370 हटाकर ! जब किया उन पर वार !! घड़ियाली आंसू रो रहे ! देखो अब सैयाद !! इस केसर की क्यारी में ! किसने लगा दी आग !! जरा - जर्रा जर्जर हुआ ! जर्रा - जर्रा छलनी !! जर्रा - जर्रा सुलग रहा ! जर्रा - जर्रा ज़ख़्मी !! कठपुतलियों का देखो ! खूब सजा बाज़ार !! कठपुतलियों के हाथों की ! कठपुतली थी सरकार !! धारा 370 हटाकर ! नहीं हुआ महापाप !! घर में घुसकर बैठे थे ! आस्तीन के सांप !! घर में घुसकर जब हमने मारा ! इनका मुँह जब हो गया काला !! अधिकार हनन की इनको देखो ! अब आई है याद !! विश्व मंच पर कर रहे ! देखो अब फ़रियाद !! इस केसर की क्यारी में ! किसने लगा दी आग !! जर्रा - जर्रा जर्जर हुआ ! जर्रा - जर्रा छलनी !! जर्रा - जर्रा सुलग रहा ! जर्रा - जर्रा ज़ख़्मी !! विपिन बंसल