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बच्चे बड़े हो गए

Poonam Mishra 17 Mar 2024 आलेख समाजिक अब दिन काटे नहीं कटता बच्चे बड़े हो गए 1869 0 Hindi :: हिंदी

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जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपने नौकरी पढ़ाई की वजह से घर से बाहर चले जाते हैं तब माता-पिता जिनका जीवन इन बच्चों की पढ़ाई लिखाई अच्छी परवरिश में गुजरता है जब बच्चे बड़े होकर घर से बाहर चले जाते हैं तो उन्हें अकेलेपन का बहुत एहसास होता है मां जिसे की पूरा जीवन ही इन बच्चों के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है जब वह घर में बिल्कुल अकेली हो जाती है तब उसे अपने बच्चों की बहुत याद आती है दिन काटे नहीं करते फोन पर भी कितनी बातें करें जो सामने रहता है उसे देखकर तसल्ली मिलती है वह फोन से ऑनलाइन बातें करने पर तसल्ली नहीं मिलती न जाने क्यों मन घबराता रहता है कैसे हैं कैसे होंगे खाया कि नहीं खाया समय पर उठा कि नहीं उठा हर तरह की चिंता मां को लगती रहती है उन्हीं माता-पिता के लिए यह कुछ शब्द जो कि हमने कहीं पढ़ा और सुना मुझे बहुत अच्छा लगा आप लोगों के सामने प्रस्तुत करना चाहती हूं जो कि इस प्रकार है



मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* 

बिस्तरों पर अब सलवटें नहीं पड़ती 
ना ही इधर उधर छितराए हुए कपड़े हैं
रिमोट  के लिए भी अब झगड़ा नहीं होता 
ना ही खाने की नई नई फ़रमाइशें हैं

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* 

सुबह अख़बार के लिए भी नहीं होती मारा मारी
घर बहुत बड़ा और सुंदर दिखता है 
पर हर कमरा बेजान सा लगता है 
अब तो वक़्त काटे भी नहीं कटता 
बचपन की यादें कुछ दिवार पर, फ़ोटो में सिमट गयी हैं 

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं* 

अब मेरे गले से कोई नहीं लटकता 
ना ही घोड़ा बनने की ज़िद होती है
खाना खिलाने को अब चिड़िया नहीं उड़ती 
खाना खिलाने के बाद की तसल्ली भी, अब नहीं मिलती 
ना ही रोज की बहसों और तर्कों का संसार है
ना अब झगड़ों को निपटाने का मजा है 
ना ही बात बेबात गालों पर मिलता दुलार है 
बजट की खींच तान भी अब नहीं है 
 
*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

पलक झपकते ही जीवन का स्वर्ण काल निकल गया 
पता ही नहीं चला 
इतना ख़ूबसूरत अहसास कब पिघल गया
पता ही नहीं चला
तोतली सी आवाज़ में हर पल उत्साह था 
पल में हँसना, पल में रो देना 
बेसाख़्ता गालों पर उमड़ता प्यार था 
कंधे पर थपकी और गोद में सो जाना 
सीने पर लिटाकर वो लोरी सुनाना 
बार बार उठ कर रज़ाई को ओढ़ाना
अब तो बिस्तर बहुत बड़ा हो गया है 
मेरे बच्चों का प्यारा बचपन, कहीं खो गया है

*मेरे बच्चे अब बडे हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

अब कोई जुराबें इधर उधर नहीं फेंकता है..
अब fridge भी घर की तरह खाली रहता है
बाथरूम भी सूखा रहता है
Kitchen हर दम सिमटा रहता है
अब हर घंटी पर लगता है कि, शायद कोई surprise है
और बच्चों की कोई नयी फरमाइश है
अब तो रोज सुबह शाम मेरी सेहत फोन पर पूछते हैं 
मुझे अब आराम की हिदायत देते हैं 
पहले हम उनके  झगड़े निपटाते थे 
आज वे हमें समझाते हैं 
लगता है अब शायद हम बच्चे हो गए हैं 

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं, और हम अकेले हो गए हैं*
*मेरे बच्चे अब बडे़ हो गए हैं, और हम अकेले हो गए हैं*

                  सभी माता पिता को समर्पित

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