मोती लाल साहु 20 Jun 2023 शायरी समाजिक #कभी चहकती बहारें थी अंगना में #क्या कुदरत है हमारा घरौंदा टूट गया #चमन की कलियां फुल बन खिलने लगे #वह बगिया कहीं बेगानी सी खुशबू आती है कभी-कभी। 7743 0 Hindi :: हिंदी
क्या कुदरत है- हमारा घरौंदा टूट गया, कभी चहकती बहारें थी अंगना में,, चमन की कलियां- फूल बन खिलने लगे, वह बगिया कहीं बेगानी सी खुशबू आती है कभी-कभी....!!!! -मोती