Jyoti yadav 01 Dec 2023 ग़ज़ल समाजिक खिलते थे कभी हम बनके फूल गुलशन बहारो में 14853 0 Hindi :: हिंदी
तुम चांद हमारी हो🌙 हमें ऐसा लगा❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ समझ अपना तुझे ✋ किया संग तेरे वफ़ा मेरे वफा का क्या खुब तुने सिला दिया🙏 कहके बेईमान सरेआम हमें बेमौत ही जला दिया ।।।।।।।।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 खिलते थे कभी हम ,🌹🌹 बनके फूल गुलशन बहारो में, ढूंढ़ा करती है नजरे मेरी😂😂 तुम्हें उन सितारों में , सोचती हूं अब ,कैसे गिन ली🤭🤭 हमें तुम गद्दारों में, मेरे मौला, यह कैसा दिन हमें दिखा दिया कहके बेईमान सरेआम हमें, बेमौत ही जला दिया।।।।।।।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 एक ही लहू ,🫀🫀 एक ही रंग तेरा मेरा साथ हुई रजनी ,🌃🌃 साथ ही सवेरा जैसा निवाला तेरी थाली में🍅🍅🫑 वैसे ही लगा थाली मेरा यह सब कैसे भुला दिया कहके बेईमान सरेआम हमें बेमौत ही जला दिया।।।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 जिस गोद में बैठ,👸👸👸 कंधों पर चढ़ कि हमने सवारी, उसी मां बाप ने🚣🚣🚣 कह तुझे अपनी बेटी पुकारी, देखा तुमने भी वही देखी जो मै दुनिया दारी ,🚴🚵 पुछती हूं मै, कि हमने क्या किया कहके बेईमान सरेआम हमें बेमौत ही जला दिया।।।।।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 शिक्षा संस्कृति सब समान रही✌️✌️ सत्कार मर्यादा में ना भेद हुआ जाने अनजाने जो कुछ मिला ज्यादा मुझे उसका मुझको भी खेद हूआ🙏🙏 सोचती हूं अब, मैं क्यों पा लिया कहके बेईमान सरेआम हमें बेमौत ही जला दिया।।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 रौंद सपनो को तेरे अगर बनाया मैंने मेरे घरौंदे तो यह बद्दुआ हमें हमारी है बने बनाए घरौंदे ,मेरे ढह जाएंगे कुछ ना कर सकेंगे ,हम बस देखते रह जाएंगे देखो होठ मेरे अब मुस्कुरा लिया कहके बेईमान सरेआम हमें बेमौत ही जला दिया।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ ज्योति यादव के कलम से कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️