संदीप कुमार सिंह 18 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5127 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जिनमें परोपकार था, कहां गए वे लोग। मिले आजकल वो नहीं,हुआ हृदय में सोग।। कहां गए वे लोग जो,जिनकी वाणी सत्य। जिनका सब कुछ सत्य था,होते कभी न अत्य।। कहां गए वे लोग जो,जिनमें था निज आन। करते थे बलिदान सुख,पाते थे मधु मान।। करे दूसरे का भला,कहां गए वे लोग। अब तो सब सरदार है,पाले ऐसा रोग।। कहां गए वे लोग सब,आए मुझको याद। दिए देश पर जान थे,अब तक हैं शमशाद।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....