धर्मपाल सावनेर 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #मुहब्बत #की #गजल # 9826 0 Hindi :: हिंदी
ना ही गिनती थी ना ही कोई हिसाब था ना कोई प्रश्न था ना ही कोई जवाब था ।। कई तितलियां मंडराती थी मेरे इर्द गिर्द वो एक वक्त था जब में भी गुलाब था ।। इल्जाम थे रुसवा हुए दामन में दाग लगे क्या नहीं हुआ जब हमारा भी शबाब था ।। उनकी आंखों पर ही लिखी गजले सारी जब भी देखा उनके बदन पे हिजाब था ।। ऐसा था वैसा था जो भी था जैसा भी था जब इश्क था वो वक्त बड़ा लाजवाब था ।। धरम सिंग राजपूत 8109708044