Mithun anuragi 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत MITHUN ANURAGI 17611 0 Hindi :: हिंदी
हे चाँद चाँदनी फैला गगन भर में , तू निकल कहीं ना पर निकल उनके आँगन घर में | दीप्त कर दे बो चेहरा तेरे ही जैसा है , है तुझसे भी खूबसूरत तेरे लिए ही संदेसा है | तू आ धरा पर उनके श्रंगार के लिए तू तीव्र चमक मेरे प्यार के लिए हे गुलशन महको मौसम सुगंध कर दो , बिछ जाओ राह में ह्रदय आनंद कर दो | कांटे ना चुभोना उनके नाजुक पेरों में , फैला दो खुशबु उनके हर सवेरों में | तुम महको न महको बहार के लिए भूल न जाना महकना मेरे प्यार के लिए हे सावन तू रिमझिम घटाएँ भर ले , प्यारी सुहानी हवाएं भर ले तेरी दमकती है दामिनी उनके बदन की तरह , तू भी चंचल है विल्कुल उनके मन की तरह | तू बरसे न बरस त्यौहार के लिए पर तू बरस मेरे प्यार के लिए || WRITTEN BY SHAYAR MITHUN ANURAGI