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साम्प्रदायिकता का समाधानःः

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख देश-प्रेम Social 87300 0 Hindi :: हिंदी

       सांप्रदाकियता के समाधान के लिए तुष्टीकरण, वोटबैंक व भड़काऊ राजनीति करनेवालो की पहचान कर उन्हें कठोरतम दंड देने की जरूरत है। साथ ही सांप्रदायिकता के आधार पर दलों के निर्माण करने; ब्रेनवासिंग करने तथा प्रत्याशियों को खड़ा करने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने की दरकार है।
       इसी तरह स्कूल-कालेज और मदरसे के पाठ्यक्रमों मे ंसर्वधर्म समभाव, कौमी एकता की शिक्षा को अनिवार्य करना चाहिए। सरकारी नीतियों में भेदभावपरक संदेशों को विलुप्त करना चाहिए। अल्पसंख्यक आयोग को सशक्त बनाना चाहिए। ऐसे इलाकों की पहचान करनी चाहिए, जो अति संवेदनशील और संवेदनशील हों तथा एक ही संप्रदायियों का निवास स्थान हो। ऐसे इलाकों की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ईमानदार और देशभक्त अफसरों की तैनाती की जानी चाहिए।
       विदेशी धुसपैठिए खासकर बंाग्लादेशियों व रोहिंग्या मुसलमानों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना चाहिए। जो जबरदस्ती घुस आए, उनकी पहचान कर राष्ट्रीय एकता व अखंडता को बनाए रखने के लिए यथाशीध्र देशनिकाला देना चाहिए। इसे देशहित में आवश्यक कदम मान जाकर जरूरी किया जाना चाहिए।
       सांप्रदायिकता हर उस देश के लिए गंभीरतम चुनौती है, जो लोकतांत्रिक है। भारत लोकतांत्रिक मूल्यों का न केवल पालनकर्ता रहा है, अपितु उसका धारणकर्ता भी रहा है। विदेशों में, खासकर चीन, जापान व दक्षिण कोरिया में सांप्रदायिकता को राष्ट्रविरोधी माना जाता है और ऐसे तत्वों को कड़ी-से-कड़ी सजा दी जाती है। भारत में भी ऐसी कड़ाई करने की नितांत आवश्यकता है।
       यह जरूरी है कि सभी समुदायों में आपसी प्रेमभाव और सौहार्द्र बना रहे, लोग परस्पर सुख-दुःख बांटे और मिलजुल कर रहें। सांप्रदायिकता कभी समस्या बनकर आए, तो मिल-बैठकर उसका समाधान करें। इसके लिए देश के प्रत्येक जिले में गठित कौमी एकता समितियों (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) को शक्तिसंपन्न व अधिकारसंपन्न बनाने की आवश्यकता है। जो त्योहारों में, साम्प्रदायिक तनाव के हालात में अपनी जिम्मेदारी समझकर भाईचारे का संदेश न केवल देती रहे, अपितु सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाइयां प्रस्तावित भी करे।
       संप्रदायिक दंगे जैसी विषम परिस्थिति में पक्ष व विपक्ष के सभी नेताओं की अहम जवाबदारी बनती है कि वे तुच्छ मानसिकता त्याग कर व्यापक हित में पुलिस-प्रशासन के साथ सहयोग करें। कौमी एकता समिति के साथ कंधे से कंघा मिलाकर साम्प्रदायिक उन्माद को यथास्थिति रोकने पर काम करें। पंथनिरपेक्षता के साथ सर्वधर्म समभाव और भाईचारे के साथ सभी धर्मावलंबियों को रहना सिखाए।
        ऐसा नेक काम गांव, शहर, नगर, देश-प्रदेश हर स्तर पर संभव है। बस पहल करने की जरूरत है, जो शासन-प्रशासन को करना चाहिए। चूंकि देश में संचालित संवैधानिक शासन सबका है, सबके हित के लिए है, किसी एक कौम, जाति, धर्म, संप्रदाय या पार्टी का नहीं; इसलिए सबको इस काम का बीड़ा उठाना चाहिए. इसी में हम सबकी और देश की भलाई है।
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अनुरोध है कि मेरे द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan पर सर्च कर  पाकेट नावेल का आनंद उठाया जा सकता है।

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