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सवारी-बैकार की शिकायतों मे बचा वक्त जिन्दगी क्यों गुजरे

Raj Ashok 01 Jan 2024 शायरी समाजिक सवारी 4894 0 Hindi :: हिंदी

बैकार की, शिकायतों मे बचा  वक्त 
जिन्दगी का क्यों गुजरे
पहले  सवारी थे  हम  उसकी तब साथ थे
अब जाना है कही और तो सवारी बदल गई ।

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