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सफर

Uday singh kushwah 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Google/yahoo/bing 16682 0 Hindi :: हिंदी

मुझे मालुम है,
ले वैठी होगी,
किसी नदी के किनारे,
नाव जीवन की।

    प्रतिक्षा होगी वस,
     जीवन साथी की,
     आते ही उनके नाव
      चल देगी...।
अनचाही मंजिल,
की ओर...।
       शांत वहती नदी के,
       किनारे वैठा हो, मेरा अस्तित्व,
       प्रत्यक्षारत संध्या की-
कुछ हो हल्का अंधेरा,
दिशा हो तरुणाई।
        कुछ ओर हो गहरा आकाश,
        तब वैंठू नाव में...।
         चल दूँ कहीं,विना दिशा के,
         तब चमके शशि...।
मैं अपने अस्तित्व को उसी,
मंद्र शीतल आलोकित सरिता में,
          लिए चलूँ...।
          कहीं दूर,विना दिशा के
          वस खो जांऊ कहीं उन्हीं
          शांत बहती हुई सरिता में,
सदा-सदा के लिए
चमकता रहे चंद्रमा हमेशा
हमेशा के लिए,मेरे जीवन के अस्तित्व में।

यू.एस.बरी
लश्कर,ग्वालियर,मध्यप्रदेश
        

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