AJAY ANAND 07 Jul 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत खामोशियों, गलतफहमियां, प्रेम, नफरत और प्यार 7047 0 Hindi :: हिंदी
खामोशियों, भाग 001 😁 शकुंतला घर से बाहर निकलने ही वाली थी कि जोरों की बारिश शुरू हो गई, हवा जोरों से चल रही थी बादलों की गरजने की आवाजें रह- रह कर सुनाई पड़ने लगी। उसने कहा - यह क्या हो गया , अभी ही बारिश को होना था। और आंधी..... दरवाजा खोलते ही बारिश की बूंदों के साथ हवा घर की तरफ आने लगी। बेटी थोड़ी देर रुक कर चली जाना। देखो बाहर कितना बारिश हो रहा है। उसकी मां रुक्मिणी आवाज लगाते हुए बाहर आती है। हां मां , वह तो मैं देख रही हूं । ऑफिस के लिए कितना लेट हो जाएगा। कल भी जाने में लेट हो गया था। आज लेट पहुंची तो बॉस का गुस्सा सातवें आसमान पर होगा- शकुंतला अपनी मां से कहती है। वह सब तो ठीक है बेटा बारिश भी तो हो रही है । कैसे जाएगी तू और देखो हवा कितनी जोरों की चल रही है। शकुंतला अफसोस करते हुए आसमान की तरफ देखने लगी - हे ईश्वर बारिश को जल्दी छूट जाने को कहो। पीछे किसी के गिरने की आवाज आई । पीछे मुड़कर देखती है , तो उसकी मां नीचे फर्श पर गिरी पड़ी है। वह दौड़ कर उसे उठाती है और पानी से उसके चेहरे पर छींटे मारती है अपने भाई को आवाज लगाते हुए बोली। सूरज जल्दी आना ........ मां फिर से बेहोश हो गई है। शकुंतला उसे उठाकर सोफे पर बैठाती है । सूरज आते ही अपनी मां से पूछता है -अब मां तबीयत कैसी है। रिलैक्स महसूस हो रहा है। हां बेटा , पता नहीं अचानक क्या हो गया था। थोड़ा चक्कर आया और मैं गिर पड़ी । उसके बाद कुछ मालूम नहीं - रुकमणी शकुंतला का हाथ पकड़ते हुए बोली। मां , मैंने तुम्हें कितनी बार समझाया है कि दवाई टाइम पर लिया करो लेकिन तुम हो की..... मेरी एक भी बात नहीं रखती। बेटा दवाई मैं रोज टाइम पर ही लेती हूं, लेकिन मेरी बीमारी ऐसी है कि ठीक होने का नाम ही नहीं लेती। शकुंतला टेबल पर रखे हुए दवाई की शीशी के ढक्कन को खोल कर देखती है । उसमें एक भी दवाई नहीं देख कर मां से पुछती है - तुम कब ली थी मां, दवाई । इसमें तो एक भी नहीं है । तुमने बताया क्यों नहीं कि दवाई खत्म हो गई है। तुम भी मां हद करती हो। शकुंतला गुस्से में मां की तरफ देखते हुए बोलने लगी। बेटा कल ही खत्म हो गई है। मैं तुझे बोलना भूल गई। रुकमणी, शकुंतला के सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है - बेटा तुम अपनी सारी सैलरी क्या मेरी बीमारी पर ही खर्च कर दोगी ? अपने लिए भी तो बचा कर तुम्हें रखना है। दो दिन से सूरज स्कूल नहीं गया है उसका भी तो फीस देना है। कहां से लाएगी तू इतने पैसे । महिने लगने में अभी दस दिन बाकी है। मां , मैं कहीं से भी पैसे का इंतजाम कर लूंगी , लेकिन तुम्हारे बीमारी का क्या .....? अपनी मां का हाथ पकड़ते हुए शकुंतला लंबी सांस लेते हुए प्यार से समझाती है - मां तुम दवाई लोगी तभी तो तुम्हारी तबीयत ठीक हो पाएगी। पापा को तो खो चुकी हूं अब तुम्हें नहीं खोना चाहती । तुम चली जाओगी तो हम दोनों भाई बहनों का क्या होगा। किसके सहारे हम दोनों रहेंगे, इतना कहकर वह रोने लगती है। बेटा बारिश भी बंद हो गया है । तुम्हें ऑफिस जाने में लेट हो जाएगा। हां, मैं निकल ही रहीं हूं इतना कहकर बाहर की तरफ जाने लगती है। सूरज मां का ख्याल रखना - जाते-जाते शकुंतला अपने भाई से कहते गई। मां थोड़ी देर यहीं पर लेट जाओ मैं खाना बनाने के लिए जा रहा हूं और हां, देखना किसी चीज की भी जरूरत पड़े तो मुझे आवाज लगा देना और यहां से कहीं जाना मत , जब तक मैं ना आ जाऊं - सूरज अपनी मां को डांटते हुए कहता है और किचन की तरफ चला गया। रुकमणी अपने पति की फोटो को दीवार पर टंगे देखकर पंद्रह साल पहले अपने बीते हुए दिनों को याद करने लगी। जब उसके दरवाजे पर एक आर्मी का जवान डोर बेल की घंटी को बजाता है । रुक्मिणी दरवाजा खोलते हुए पूछती है आप कौन ? जी मैं आर्मी हेडक्वार्टर से आया हूं। मेरा नाम जगत पांडे है। क्या आप मिसेज सूर्य प्रकाश जी हैं ? हां कहिए , मैं ही हूं , कोई खास बात .... रुक्मिणी उससे कहती है। आपके पति सूर्य प्रकाश जी ...... और वह आर्मी कहते - कहते चुप हो गया। घबराते हुए रुक्मिणी आर्मी से पूछने लगती है क्या हुआ मेरे पति को........। आप चुप क्यों हो गए ........ जी आपके पति शहीद....... इतना कहकर जगत पांडे चुप हो जाता है। नहीं - नहीं, ऐसा नहीं हो सकता । दो दिन पहले ही तो मैं उनसे बात की थी और वह रोने लगती है। कह दीजिए यह झूठ है आपको कोई गलतफहमी हुई है ।मैं दो दिन पहले ही........ और रुक्मणी बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। जगत पांडे दौड़कर टेबल पर रखा हुआ पानी की बोतल लाकर उसके चेहरे पर छींटे मारता है। रुकमणी होश में आते ही फिर से रोने लगी। रुकमणी के रोने की आवाज सुनकर उसके दोनों बच्चे शकुंतला और सूरज मां के पास आ गए । शकुंतला की उम्र सात साल और सूरज की उम्र दो साल का होगा। जगत पांडे पूछता है बेटा तुम्हारा क्या नाम है .... शकुंतला। और इसका ........ सूरज । अंकल , मेरी मां को क्या हुआ है, मां क्यों रो रही है शकुंतला जगत पांडे से पूछती है। कुछ नहीं बेटा, घबराओ मत, तुम्हारी मां ठीक है - जगत पांडे बोला। सूरज के सिर पर हाथ रखते हुए जगत पांडे कहा - बहुत अच्छा बेटा है मां का ख्याल रखना...... । इतना कहकर जगत पांडे चला गया। शकुंतला खामोशी से अपनी मां को रोते हुए देखती है, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा कि मां क्यों रो रही है ? रुकमणी अपने दोनों बच्चों को लेकर कमरे के अंदर चली गई और कमरे के दरवाजे को बाहर से लगाकर सोफे पर आकर बैठ जाती है। मां क्या हुआ, क्यों रो रही हो। सूरज उसे जगाते हुए पूछता है। लो नाश्ता कर लो, नाश्ता बन गया है। कुछ नहीं बेटा बस पुरानी यादों में चला गया था। आज तुम्हारे पिता याद आने लगे। वो रहते तो....... यह दिन देखना नहीं पड़ता मेरी बेटी पढ़ाई छोड़कर ....... मां बस अब छोड़ो भी , तुम भी पुरानी बातों को दोहराने लगती हो। क्या फायदा बीती बातों को याद करके ,जो बीत गया उसे भूल जाओ...... सूरज अपनी मां को समझाते हुए कहा। रुकमणी पास ही रखी हुई टेलीफोन से कहीं फोन लगाने लगी और उधर रिसीव होते ही बोली - शकुंतला अब इक्कीस साल की हो गई है उसकी शादी की चिंता हमें ........ । मैं जल्द ही कोई लड़का देखकर तुम्हें बताता हूं .... उधर से किसी अंजान पुरुष की आवाज आई। रुकमणी मुस्कुराते हुए फोन को रख देती है और अपने पति सूर्य प्रकाश की फोटो की तरफ देखने लगी। क्रमशः..??