बी.पी.शर्मा 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य माँ करणी को समर्पित रचना बद्री प्रसाद शर्मा 76058 0 Hindi :: हिंदी
योग माया योग से,तू योग को ही धारती सत की स्थापना,तू मूल को उबारती महा प्रताप पुण्य मां,तू वंश वंश तारणी शुंभ और निशुंभ भी, तू ही काल भैरवी योगिनी तू मातृका,कभी कर्ण पिसचिनी अनंत रूप धारती,मां स्वर्ग से पधारती पुष्प पुष्प हार का,तू कण-कण निखारती चंड मुंड रक्त रूप,आज भी उबारती दिव्य है प्रकाश पुंज युग युग चांदनी,यज्ञ रूप करनला तू नामरूप चारणी। शिव संग खेलती,तू सहस्त्र रूप धारती प्रतिबिंब प्रकाश पुंज, काल को पछाड़ती ब्रह्म रूप शारदे,तू काव्य को निखारती ज्ञान के प्रकाश को,तू बिंब से संवारती शब्द शब्द बांधती,तू बाण को भी भेदती धार वार दुष्ट पे,अब अंब ही उबारती पृष्ठ पृष्ठ भेद का,तू ब्रह्म को प्रकाशती योग से है जोगमाया,करनला ही जानती दिव्य है प्रकाश पुंज युग युग चांदनी,यज्ञ रूप करनला तू नामरूप चारणी। स्वर स्वर शब्द का,अलंकार से आरती चील रुप कहावनी,तू पल में उबारती पक्ष पक्ष काल का,मां तूम ही औषध हो भाव भाव पुण्य मां,सत्य का करम हो व्रत उपवास मां,सत्व रज तम हो बाल बाल पालती,मां तुम ही उबारती भाल में है चंद्र तू,गल में फुफकारती राम नाम मंत्र का,आ करनला ही तारती दिव्य है प्रकाश पुंज युग युग चांदनी,यज्ञ रूप करनला तू नामरूप चारणी। रचनाकार-बद्री प्रसाद शर्मा