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ईवीएम पर हार का ठीकरा-फोड़ने से नेतृत्व को पांच फायदा

virendra kumar dewangan 19 Aug 2023 आलेख राजनितिक Political 5763 0 Hindi :: हिंदी

विपक्षी पार्टियां जब चुनाव हार जाती हैं, तब हार की सम्यक समीक्षा करने के बजाय, हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर फोड़कर नाच न जाने आंगन टेढ़ा कहावत को चरितार्थ करती रहती हैं और बैलेट पेपर को वापस लाने की मांग करती हैं। लेकिन, जब यही विपक्षी पार्टियां किसी राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त कर लेती हैं, तब ईवीएम पर एक शब्द नहीं बोलतीं। चुप्पी साध लेती हैं।

महाराष्ट्र के लोकसभा उपचुनाव पालधर एवं गोंदिया-भंडारा में मिली करारी हार से बौखलाई भाजपा की पूर्व गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र ‘सामना’ के माध्यम से कहा था कि सत्ताधारियों ने चुनाव आयोग, चुनाव और लोकतंत्र को अपनी रखैल बना रखा है। वर्तमान चुनाव आयोग और उसकी मशीनरी सत्ताधारियों की चाटुकार बन गई है। इसलिए वे चुनाव में किए जानेवाले पैसे व शराब के वितरण, सत्ताधारियों की तानाशाही, धमकी भरे भाषणों के खिलाफ शिकायत लेने को तैयार नहीं है।
 
उन्होंने सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए लिखा है कि रूस के पुतीन तथा चीन के शी चिनफिंग ने उम्रभर सत्ता में बने रहने की व्यवस्था लोकतांत्रिक तरीके से कर ली है। हिंदुस्तान में भी वैसी ही तैयारी शुरू हो गई है। 

इसके विपरीत जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुआ और दूसरी बड़ी पार्टी बनकर बीजेपी को सत्ता में जाने से रोक दिया, तब यही पार्टी आश्चर्यजनक रूप से ईवीएम पर खामोश ओढ़ लिया। क्या यह जीत ईवीएम की बगैर निष्पक्षपता के संभव हो गया?
इसी तथ्य की ओर इंगित करते हुए देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कोलकाता मेें कहा था, ‘‘ईवीएम को बलि का बकरा बनाया बनाया जा रहा है। कारण कि मशीनें बोल नहीं सकतीं और राजनीतिक दलों को अपनी हार का ठीकरा फोड़ने के लिए किसी न किसी चीज की जरूरत होती है।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत में मुक्त व निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया ने विश्व को प्रभावित किया है। पिछली जुलाई को आयोजित सर्वदलीय बैठक में घोषित किया गया था कि आगे वीवीपैटयुक्त ईवीएम से ही चुनाव होंगे। मतपत्र की ओर फिर वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता। इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के बावजूद, चुनाव आयोग कुछ ही घंटों में परिणाम देने में सक्षम है।

उनने यह भी कहा, ‘‘इसी के साथ, चुनावों में धन और ताकत के प्रयोग को समाप्त करने के लिए व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़ी गड़बड़ियों और गलत तौर-तरीकों को आयोग के मोबाइल एप के जरिए उजागर करनेवालों की पहचान गुप्त और सुरक्षित रखी जाएगी।’’

	इसके विपरीत विपक्षी पार्टियां जहां जीत जाती हैं, वहां बल्ले-बल्ले हो जाता है। इस पर वे चर्चा करना भी गंवारा नहीं करतीं। इनकी पराजय का कारण अनेक रहता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण कारक है नेतृत्व की नाकामी। संगठन में जान फंूकने के जज्बे का अभाव, लेकिन अपनी कमी को छुपाने के लिए ईवीएम पर ठीकरा फोड़ दिया जाता है।

	ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने से नेतृत्व को पांच फायदा होता है। 
1.	पार्टी में उसका विरोधकर्ता कोई नहीं रहता 
2.	वह निष्कंटक सुप्रीमो बना रहता है।
3.	उसकी डेढ़ ईंट की पार्टी टूट-फूट से बच जाती है
4.	जनता को भरमारकर मुगालते में रखा जा सकता है
5.	इससे राजनीतिक दुकानदारी बेखटके चलती रहती है। चंदा मिलता रहता है और धौंस-धपट व रुतबा बरकरार रहता है
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