Pratibha Khadekar 11 Apr 2024 गीत समाजिक Writer pratibha Khadekar 1094 0 Hindi :: हिंदी
बादल गरज चुके, बादल गरज चुके, बादल गरज चुके .... ऋतुराज अवकाश में सप्तरंग फैला चुके बादल गरज चुके, बादल गरज चुके, बादल गरज चुके .... छिल छिल छिल छिल बुंदे , उड़ती पवन , टक्कराए मेघा गिरे आग का गोला लहराए नाव जल में बादल गरज चुके,बादल गरज चुके, बादल गरज चुके .... खिल उठे मन के तीर बचपन मे झिल झिल झिल झिल बादल बरसे सप्तसुरो में सप्तरंग गुंजे,, फिर से बादल बरसे नवचैतन्य रोम रोम निखरे बादल गरज चुके,बादल गरज चुके, बादल गरज चुके.... हरे रंग से जमी सौंदर्य लहरे मानो इंद्रधनुष्य जमी पर विराज बादल गरज चुके, बादल गरज चुके, बादल गरज चुके.... रचना -प्रतिभा खडेकार