Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #हिचकिचाते हो 22261 0 Hindi :: हिंदी
सही को सही बताने में ! क्यों इतना हिचकिचाते हो !! गर उड़ान भरी विश्व गुरू की ! क्यों पर कतरना चाहते हो !! धारा 370 हटाकर ! नहीं हुआ महापाप !! घर में घुसकर बैठे थे ! आस्तीन के सांप !! विष उगलते इन नागों को ! क्यों दूध पिलाए जाते हो !! गर फन जो कुचले इन नागों के ! क्यों तुम इतना घबराते हो !! एक देश एक तिरंगा ! एक ही हो संविधान !! देश के इस पावन पर्व पर ! क्यों ग्रहण लगाते हो !! सही को सही बताने में ! क्यों इतना हिचकिचाते हो !! पीठ पीछे घोंप दिया कायर ने खंजर ! पुलवामा का हृदय विदारक वो मंजर !! क्या हमने ही घोंपा था ! पीठ में अपने वो खंजर !! निंदा की तो बात अलग है ! तेरे तो सवाल अलग है !! भीष्म प्रतिज्ञा दुश्मन दंग ! दिल में ज्वाला आँखे नम !! बदला लेके रहेंगे हम ! घर में घुसकर मारेंगे हम !! दुश्मन को हमने ललकारा ! घर में घुसकर ही हमने मारा !! सैनिकों की वीरता पर ! क्यों प्रश्न चिन्ह लगाते हो !! कुर्सी की खातिर ! क्यों गर्द उड़ाते हो !! सही को सही बताने में ! क्यों इतना हिचकिचाते हो !! वोट बैंक के बीज उगाए ! मजहबी खेती तुम करते आए !! देश का निकाला दिवाला ! जातो को भी वोट में ढाला !! कहीं यादव कहीं हरिजन ! कहीं गुज्जर, जाटों के समुदाय !! कहीं बनिये कहीं पंडत ! अपना - अपना गड़ बनाए !! हिन्द के इस हिन्दु को ! खण्ड-खण्ड तुम करते आए !! त्रेता युग में वनवास मिला ! कलयुग में भी वनवास !! गर घर लौटे राम ! क्यों उपहास उड़ाते हो !! हिन्दु राष्ट्र के नाम से ! क्यों तुम घबराते हो !! राम राज्य में खुशहाल सभी ! क्यों मन में शंका लाते हो !! सही को सही बताने में ! क्यों इतना हिचकिचाते हो !! विपिन बंसल