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वायु प्रदूषण-खतरनाक वायु प्रदूषण से न केवल देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा बेतरह दूषित हो गई है

virendra kumar dewangan 09 Nov 2023 आलेख दुःखद very sad 14403 0 Hindi :: हिंदी

खतरनाक वायु प्रदूषण से न केवल देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा बेतरह दूषित हो गई है, अपितु पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान का वायुमंडल भी बुरी तरह प्रदूषित होकर खतरनाक स्तर को पार कर गई है।

तिस पर तुर्रा यह कि इससे किसी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। न केंद्र सरकार को, न राज्य सरकारों को। दिल्ली की सरकार फौरी तौर पर स्कूल-कालेजों को बंद करवा दी है। दिल्ली में प्रवेश करनेवाले डीजल-वाहनों पर रोक लगा रही है। अब आड-इवन का फार्मूला 13 से 20 नवंबर तक लेकर आ रही है। जबकि ये आधे-अधूरे उपाय हैं और बरसों से इस जानलेवा समस्या से दिल्ली और आसपास के वासी जूझ रहे हैं। 

अब मामला गंभीर हो गया है और दिल्ली के वाशिंदे जहरीले हवा से कराह रहे हैं, तब दिल्ली की सरकार जागी है। वे दमा, अस्थमा, आंखों की बीमारी, कैंसर, पाचनतंत्र व श्वसनतंत्र के रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं।

पहले दिल्ली की सरकार इसके लिए पंजाब व हरियाणा सरकारों को दोष दिया करती थी कि उनके यहां जलनेवाली पराली ने दिल्ली की हवा को दूषित कर रखा है, पर अब जब आप पार्टी की ही सरकार पंजाब में है, तब उनकी बोलती बंद है। ज्वलंत प्रश्न यह कि अब वे पराली जलानेवाले को रोक क्यों नहीं रहे हैं?

पराली ही क्यों, वायुप्रदूषण के लिए पेट्रोल-डीजल के वाहन, उद्योगों की चिमनियों से निकलनेवाले धुएं, डीजल पंप, निर्माण कार्य और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी तो जिम्मेदार हैं। इनकी रोकथाम के लिए सरकारें सालभर क्या करती रहती हैं? जबकि उन्हें मालूम है कि यह समस्या साल-दर-साल की है, जो बरसात की समाप्ति के साथ अपना दुष्प्रभाव दिखाना आरंभ कर देती है। अब, पटाखों पर बैन करने की कार्रवाई होगी, लेकिन पराली जलाने से कहीं अधिक प्रदूषण फैल रहा है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

हालांकि कई जानकारों की सलाह है कि आर्टिफिसियल रैन यानी कृत्रिम वर्षा इसका समाधान हो सकता है, जो हवा में मौजूद धूल के जहरयुक्त कणों को धरती पर वापस बिठा देगी और क्षेत्र वायु प्रदूषण से निजात पा लेगा। पर, वह अत्यधिक खर्चीला होने के कारण सरकारें इसको अपनाएंगी, इसमें संदेह है।

केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह खतरनाक स्तर को प्राप्त कर चुके वायु प्रदूषण से लोगों को निजात दिलाने के लिए आगे आए और राज्य सरकारों से समन्यव स्थापित कर ऐसे उपाय करे कि इसका स्थायी समाधान निकले। लेकिन, समझ से परे है कि इस मामले में केंद्र सरकार मौन क्यों है? 

जब देश की बदनामी विदेशों में होगी, तब केंद्र सरकार के नकारापन को भी एक वजह माना जाएगा।
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