DIGVIJAY NATH DUBEY 24 May 2023 कविताएँ समाजिक #दिग्दर्शन 7591 0 Hindi :: हिंदी
मैं तो था अज्ञानी बालक अंधकार से मुझे बचाया ज्ञान का उचित प्रकाश दिखाकर संस्कार की राह दिखाया ज्ञान और अनुशासन से हमको इतना सफल बनाया जहा कहीं भी कदम बढ़ाये तेरी महिमा प्रखर में आया निःस्वर्थ ज्ञान गंगा में हमको खूब नहलाया गुरु आपने कभी घूर के कभी प्यार से कर्म बताया गुरु अपने हम तेरे चरणों में नित्वत दंड अभिनंदन करते हैं गुरु दक्षिणा के बदले में जान न्योछावर करते हैं । दिग्दर्शन !