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राष्ट्रवाद की लहर-23 अगस्त 2023

virendra kumar dewangan 26 Aug 2023 आलेख देश-प्रेम Patriot 7310 0 Hindi :: हिंदी

23 अगस्त 2023 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो के द्वारा जब चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर 6 बजकर 4 मिनट में साफ्ट लैंडिंग करवाया गया, तब देश में जिस तरह के राष्ट्रवाद का उफान उभरकर सामने आया, वो अभूतपूर्व, अनूठा और अद्भुत था।

यह एक ऐसा खुशनुमा पल था, जिसमें भारत का पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण हिस्सा ही नहीं; अनिवासी भारतीयों ने भी कामयाबी का जोरदार जश्न मनाया। होली-दीवाली साथ-साथ हो गया।

ऐसा जश्न तो भारतीय क्रिकेट टीम के द्वारा वर्ल्डकप जीतने पर भी नहीं मनाया गया, जितना कि 23 अगस्त को हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर मनाया। इस बीच एक सज्जन ने सुंदर व सजीव कल्पना कर वाट्सएप पर शानदार चित्र भेजा कि ‘धरती माता’ ने ‘चंदा मामा’ को प्री रक्षाबंधन गिफ्ट भेज दिया है। वाकई कितनी त्वरित व सटीक कल्पना थी यह।

हालांकि लैंडर विक्रम के 41 दिनी लंबी यात्रा में अधिकांश देशप्रेमी तब से ईश्वर से प्रार्थना, इबादत, स्तुति, यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ कर रहे थे, जब से वो अपने महाभियान में निकला था। कारण कि इसके पूर्व चंद्रयान-2 विफल हो चुका था, लेकिन जब दिन करीब आता गया, तब देशवासियों का रुझान और प्रार्थनाएं बढ़ते जाना इसी तथ्य की ओर संकेत करता हैं भारत में राष्ट्रवाद का श्रीगणेश चंद्रमा में भारतीय वैज्ञानिकों के धमक से हो गया है।

इसी के साथ भारत दुनिया का चौथा (अमेरिका, रूस व चीन) और दक्षिणी धु्रव पर कदम रखनेवाला एकमात्र ऐसा देश बन गया है, जिसने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा और राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चक्र का चिन्ह बनाकर देशवासियों की भावनाओं को उद्वेलित कर दिया। 

इसरो की इस अद्वितीय व अभिनव सफलता के लिए जहां विदेशी स्पेस एजंेसियों ने तारीफों के पुल बांधे, वहीं विदेशी राष्ट्राध्यक्षों ने भारत के टेक्नोलाजी व वैज्ञानिकों की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की है।

अपने सफल विदेशी दौरे से लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सुबह-सवेरे इसरो के महान वैज्ञानिकों के समक्ष अपने भावविभोर उद्गार व्यक्त कर रहे थे, तब जहां लैंडर विक्रम ने अपना कदम रखा उसका नाम ‘शिव शक्ति’ दिया, वहीं चंद्रयान-2 के कदमस्थल को ‘तिरंगा’ नाम से नवाजा। यही नहीं, उन्होंने 23 अगस्त को नेशनल स्पेस दिवस के रूम में मनाने का ऐलान भी किया। 

अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे भारत का अंतरिक्ष उद्योग बेहद विकसित, मजबूत व प्रभावशाली होगा, जो न केवल भारत की आर्थिक तरक्की को नए-नए आयाम देगा, अपितु रक्षा क्षेत्र को भी आत्मनिर्भर बनाएगा।

साथ ही अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो मंगल, शुक्र आदि ग्रहों के लिए भी नई-नई खोजें करेगा, जो उसके विज्ञान व तकनीक को और ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इससे प्रेरित होकर भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के नए-नए अवसर खुलेंगे, वहीं देश को विकसित राष्ट्र बनाने में यह अभियान मिशन मील का पत्थर साबित होगा।
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