Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक राजनीती बही है 15020 0 Hindi :: हिंदी
कुछ नहीं बदला है गर्दन बही है बस जलाद बदला है हम और आप बो ही है बस एक और तलबार बदला है सब कुछ जस के तस है बस हमारी गर्दनों को जो काट सके सिर्फ बो हाथ बदला है और कुछ नहीं बदला है राजनीती बही है बस राजनितग बदला है