Baba ji dikoli 20 Apr 2024 शायरी प्यार-महोब्बत कविता/शायरी/गजल/गीत/संगीत/अभिलेख 3270 0 Hindi :: हिंदी
तुम पुजारिन हो कान्हा की,मैं बजरंग का दास हूँ। तुम बात करती हो प्रेम की, मैं लिए ब्रम्हचर्य साथ हूँ। तुम ऋतुओं में बसंत सी,मैं पतझड़ सा अभिशाप हूँ। तुम शरद ऋतू सी शीतल हो,मैं चैत्र माष का ताप हूँ। तुम पुजारिन हो कान्हा की,मैं बजरंग का दास हूँ। @babajidikoli