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गुलाब

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #Gulab per kavita#Gulab ke phool per kavita#phool per kavita#prem per kavita#Rambriksh kavita#kavita rambriksh#Ambedkarnagar Poetry#rb Poetry#rambriksh Poetry#फूल पर कविता इन हिंदी#गुलाब का फूल पर कविता#गुलाब पर गजल 46920 0 Hindi :: हिंदी

मैं गुलाब हूं फूलों में,
रहता कृष्ण के झूलों में,
या वीर जवानों के पथ पर
या सुंदर बालों के जूड़ो में,

                मेरा जन्म हुआ है कांटों में,
                जीवन के विघ्न सा बाटो में,
                वो चुभ जाए जो हिलूं जरा,
                हूं  जिह्वा जैसा दांतों में   |

 पंखुड़ियां रंग भरे कोमल,
 ले भरी जवानी गातो में,
 कोई विघ्न भला क्या कर सकता?
 जब खिलूं हरे भरे पातों में।  

                मैं गुलाब ,कई रंगों में,
                मन मीत मनोहर अंगों में,
                मैं बिखेर खुशबू अपना,
                जीवन जीता सानन्दो में।  

फूलों में नाम मेरा पहला,
मैं प्रेम निशानी अलबेला,
वो प्यार में प्यारा बन जाता
कांटों में जीवन जीने वाला। 


             मेरा रूप गुलाबी गालों पर,
             निखरे जस झूमती डालो पर,
             तारीफ़ सदा होता मेरा,
             मद मस्त जवानी हालो पर
             
है प्रेम रंग से बड़ा कौन?
खिलते चेहरे को पढ़ा कौन?
मैं गुलाब तन मन का हूं,
ख़ुश रहो सदा न रहो मौन|


            रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर               
                    
                    






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