Rahul verma 31 Jan 2024 कविताएँ अन्य #कविता, #बदला 8258 0 Hindi :: हिंदी
तू आसमां से गिर ज़मीं पर, या गिर ज़मीं से कुएं में, पर क्यू गिरता है नजरो से, तिरी इज्जत उड़ेगी घूंए में। तिरी बात का मुर्दा गढ़ जाएं, कही तू खुश इसी में हो जाए, पर जब और सनाथी आयेगी, तिरे अवशेष कही न आ जाए। तू डर तिरे अवशेषों से, तुझे जरा भी खौफ नहीं, तू भूल गया जो सालो पहले, क्या वो हमे मालूम नही। हम निम्न है या उच्च है, पर जैसा के लिए वैसा है, किरदार तिरा ये तुच्छ है, या जन्मजात ही ऐसा है। राहुल वर्मा (नीर...)