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मिले न ज्यादा भाग्य से-इसका रखें विचार

संदीप कुमार सिंह 29 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4030 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
मिले न ज्यादा भाग्य से,इसका रखें विचार।
आगे जो है भाग्य से,ऐसा यह संसार।।

मिले न ज्यादा भाग्य से,सबका यहां नसीब।
जिसकी जैसी पात्रता,वैसी ही तरकीब।।

मिले न ज्यादा भाग्य से,उचित मिले जब वक्त।
सुख दुख में सम रस रहें,गर्म रहे तब रक्त।।

मिले न ज्यादा भाग्य से,सदा रखें संज्ञान।
सोच समझ कर जो चले,उनको मिले निदान।।

मिले न ज्यादा भाग्य से,यहां यही दस्तूर।
सदा लुभाए आप को,और करे मजबूर।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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