Kirti singh 19 May 2023 कविताएँ समाजिक शमशान तक ही तो जाना है फिर क्यों इतनी माया है। 8039 0 Hindi :: हिंदी
शमशान तक ही तो जाना है फिर क्यों इतनी माया है, यह जीवन मेरा है यह तन मेरा है फिर क्यों एक दिन इस में आग लगाना है ।शमशान तक ही तो जाना है फिर क्यों इतनी माया है ,पत्थर का ही तो मकान है सबके मुंह तक ही बखान है फिर क्यों घमंड बढ़ाना है और काल के गाल में जाना है। kirti singh