Jyoti yadav 08 Nov 2023 कविताएँ समाजिक 9715 0 Hindi :: हिंदी
रुप बदले अंदाज बदले दया धर्म करने वालों के लिहाज बदले बदल गया यह पूरा जमाना मुसीबत आई जब एक अबला पे सबके राज बदले मानवता शर्मसार हुआं संस्कृति पर प्रहार हुआ जहां हो ना सकी सुरक्षा नारी की ऐसे जगह का धिक्कार हुआ रख नहीं सकता खयाल तुम्हारा तुमसे ज्यादा कोई अब उठ जाग जाओ वो मां बहनों बहुत दिनों तक सोई आओ अब एक वादा करो नहीं सहोगी जुर्म तुम किसी का इरादा करो सबसे ऊंचा है गुरुर तेरा किस्मत में तेरे नहीं है अंधेरा सुरज की किरन पुकार रही है तुझे आज तेरे लिए हुआ है नया सबेरा चल साथ पुरुषों के तू भी क़दम से क़दम मिलाकर मोड़ दे रुख तुफानो का सर झुकाकर मत अफसोस कर तू तेरे स्त्री होने पर आ इस जिंदगी को बिंदास जी ले हुआ जो हुआ कल तक अब अपने आज बदल लें रुप बदले अंदाज बदले दया धर्म करने वाले के भी लिहाज बदले ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर