Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत बे फजूल 5982 0 Hindi :: हिंदी
तू रुत होती धुप होती रंग थोड़ा रूप होती तू गुल होती गुलशन होती फूल और फूलबड़ी होती दो बून्द महक थोड़ा सा खुशबु होती तो कही गुलदान में बे फजूल कैद होती न तू मेरा जूनून होती न ही मैं तेरे लिए आतुर होता न मन व्याकुल बेचैन होती न ही तू मेरी अंतिम अभिलाष होती माना की तेरा मेरा कोई मेल नहीं पर सच कहु जान तू भी तो बे मेल नहीं एक दिन तुम्हे पा लूंगा जीवन सफल बना लूंगा तेरी जुल्फों के निचे एक आशिया बना लूंगा येशा नहीं की हूर हैं तू न कभी मुझसे दूर हैं तू लेकिन पास पास हो के भी फिर भी थोड़ा थोड़ा दूर हैं तू