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हरी घास की गोब सी तुम

Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Shayri, Whatsapp, Status, Latest, news, match, update, google, first, twitter, #gurunankdev jayanti, Hindu 88065 0 Hindi :: हिंदी

हरी घास की गोब सी लहलाती हुई जो तुम आती हो, 
हवा के झोंकों सी कुम्हलाकर, अचानक जो मुझे छू जाती हो 
साँसे थामे रखता हूँ मैं, फिर भी मदमस्त कर जाती हो
हाय! अपनी ये नींदे और अपने होश तो मैं कब का खो बैठा,
हे भगवान! अब समझ नहीं आता, मै पागल हूँ या तुम मुझे बनाती हो | 

तुम्हारी ज़ुल्फो की ये सौंधी सी खुशबु मेरे जीवन को महकाती हैं 
बिख़र जाता हूँ मैं, छोड़ कर मुझे
तुम जब यूँ चली जाती हो
और खिल उठते हैं मेरे ये दिन-रात, नज़र जब मुझे तुम आ जाती हो 
उफ़! अब पता नहीं मैं लिखता हूँ, या तुम मुझसे लिखवाती हो | 

हरी घास की गोब सी लहलाती हुई जो तुम आती हो | | 

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