Jyoti yadav 28 May 2023 कविताएँ दुःखद छुपा रखा है वो दर्द किसी ताले में 5402 0 Hindi :: हिंदी
इक शख्स को मुस्कराते देखा दिन के उजाले में छुपा रखा था दर्द वो किसी ताले में हर साम वो नक़ाब चेहरे से उतरता है खुद को बेबस बेसहारा पाता है फिर अगले सुबह मुखौटा वहीं लगाता है फिर हंसता फिर मुस्कराता है निकलता है सुकुन के आस में रोटी के तलाश में दर बदर मारा मारा फिरता है कभी किसी से कुछ नहीं कहता है रास्ते भी उसको आजमाते हैं छाले पांवों में पड़ जाते हैं ना नींद पूरी होती है ना ख्वाब मुकम्मल हो पाते हैं बड़ी चुभन है उसके हर निवाले में छुपा रखा है वो दर्द किसी ताले में