PANKAJ KUMAR PANDEY 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #Pankaj Pandey 16940 0 Hindi :: हिंदी
सपने सजा रहा था मै उसका लेट कर, कि फेंका उसने पत्थर चिट्ठी लपेटकर, देखती रह गई वो पर्दे की ओट से, मेरा थोबड़ा बिगड़ गया पत्थर की चोट से।
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